chhath puja kyon manaya jata hai: प्रसाद से लेकर भखरा सिंदूर तक, जानें इन परंपराओं का गूढ़ महत्व
छठ पूजा का पर्व एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान है, जिसे विशेष रूप से सूर्य देव और छठी मइया की पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं हैं, जो इसे और भी अधिक पवित्र और आस्थापूर्वक बनाती हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण परंपरा है छठ पूजा के प्रसाद को एक-दूसरे से मांग कर खाना, जिसे श्रद्धालुओं द्वारा बड़े श्रद्धा भाव से निभाया जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से इस परंपरा का एक विशेष महत्व है।
प्रसाद मांग कर खाने का महत्व
मान्यता के अनुसार, छठ पूजा के प्रसाद को एक-दूसरे से मांग कर खाना इस बात का प्रतीक है कि श्रद्धालु अपनी आस्था और भक्ति को प्रकट करते हैं। ऐसा करने से वे सूर्य देव और छठी मइया की कृपा के पात्र बनते हैं और उनका मान-सम्मान बढ़ता है। पं. विकास शास्त्रत्ती के अनुसार, जब कोई व्यक्ति छठ पूजा का प्रसाद मांग कर खाता है, तो इससे उसके शरीर से नकारात्मक ऊर्जा या दुर्गुण दूर होते हैं और सूर्य देव व छठी मइया की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति छठ पूजा का प्रसाद लेने से मना करता है या उसे कहीं रख देता है, तो यह सूर्य देव और छठी मइया को नाराज कर सकता है। इसलिए किसी भी श्रद्धालु को छठ प्रसाद लेने में संकोच नहीं करना चाहिए। यही कारण है कि इस पर्व के दौरान प्रसाद को बड़े श्रद्धा भाव से ग्रहण किया जाता है और इसे एक शुभ संकेत माना जाता है।
भखरा सिंदूर का महत्व
छठ पूजा में महिलाएं विशेष रूप से भखरा सिंदूर लगाती हैं, जो एक विशेष प्रकार का हल्के नारंगी रंग का सिंदूर होता है। इसे सुहागिनें अपनी मांग में लगाती हैं और इसे लेकर एक महत्वपूर्ण धार्मिक मान्यता भी है। भखरा सिंदूर की तुलना सूर्योदय के समय होने वाली लालिमा से की जाती है, जो जीवन में नए सवेरा और ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है। इसे लगाने से यह विश्वास किया जाता है कि जैसे सूर्य की किरणें हर दिन नए जीवन और ऊर्जा का संचार करती हैं, वैसे ही भखरा सिंदूर लगाने से दुल्हन के वैवाहिक जीवन में नया सवेरा और सुख-शांति आती है।
इसके अलावा, सनातन शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि जो महिलाएं अपनी मांग में लंबा सिंदूर लगाती हैं, उनके पतियों को समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। विशेषकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में यह परंपरा प्रचलित है, जहां सुहागिनें नारंगी सिंदूर लगाती हैं। मान्यता है कि इस सिंदूर को नाक से लेकर सिर तक लंबा लगाया जाता है, ताकि यह पति की उम्र में वृद्धि और उसकी सफलता का प्रतीक बने।
निष्कर्ष
छठ पूजा का पर्व न केवल सूर्य देव और छठी मइया की पूजा का अवसर है, बल्कि यह समृद्धि, सुख और अच्छे स्वास्थ्य की कामना का भी प्रतीक है। इस पर्व से जुड़ी परंपराओं जैसे प्रसाद मांग कर खाना और भखरा सिंदूर लगाना, इनका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। इन परंपराओं को श्रद्धा भाव से निभाने से न केवल आस्था प्रकट होती है, बल्कि यह व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन में भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। इसलिए छठ पूजा के दौरान इन परंपराओं का पालन करना एक शुभ और सकारात्मक कार्य माना जाता है।
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